क्या पान मसाला और जर्दा से होता है कैंसर? जानिए आचार्य मनीष जी से
आप अपने पैरों पर चलकर अस्पताल जाते हैं, लेकिन कीमोथेरेपी के बाद या तो wheelchair पर लौटते हैं या stretcher पर। ये उन हजारों लोगों की हकीकत हैं जो कैंसर के इलाज के लिए कीमोथेरेपी का सहारा लेते हैं। कीमोथेरेपी में इतना दम होता है कि यह रोगी के शरीर के साथ-साथ उसकी आत्मा को भी झकझोर देती है।
आचार्य मनीष जी बताते है कि कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। बाल झड़ना, नाखूनों का काला होना, त्वचा का रंग बदल जाना, हाथ-पैरों में कमजोरी, चेहरे की चमक खो जाना, ये सब common side effects of chemotherapy हैं। मरीज धीरे-धीरे एक ऐसा जीवन जीने लगता है जो दर्द, डर और कमजोरी से भरा होता है।
क्या यही एकमात्र इलाज है? आचार्य मनीष जी का मानना है कि Natural remedies for chemotherapy जैसे आयुर्वेदिक काढ़ा, हल्दी, कच्चे फल-सब्ज़ी, प्राकृतिक दिनचर्या और आत्म-विश्वास से कैंसर जैसी बीमारियों को हराया जा सकता है। वे कहते हैं कि “डरो मत, लड़ो!” डर से नहीं, प्राकृतिक उपायों से।
पान मसाला जैसे ज़हरीले उत्पाद खाने वालों को भी चेतावनी दी गई है कि इससे उनके मुंह में कीड़े लग सकते हैं। जीवन को यूं ही बर्बाद मत कीजिए समझिए, पहचानिए और एक प्राकृतिक जीवनशैली अपनाइए। इस कहानी में छुपा है एक गहरा संदेश: रोग से नहीं, इलाज के गलत तरीकों से डरिए। क्योंकि अगर इलाज के बाद इंसान और भी ज़्यादा बीमार हो जाए, तो अब इलाज ही नहीं, रास्ता भी बदलिए, ज़रूरत है आयुर्वेद की, इलाज ऐसा हो जो शरीर को कमजोर न करे, बल्कि ताकत दे।
कीमोथेरेपी क्या है?
कीमोथेरेपी एक तरह का कैंसर का इलाज है जिसमें दवाओं का इस्तेमाल करके शरीर में कैंसर कोशिकाओं को खत्म किया जाता है। यह दवाएं शरीर में तेजी से बढ़ रही कोशिकाओं को नष्ट करती हैं, लेकिन इसके साथ-साथ यह स्वस्थ कोशिकाओं को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसी कारण इसके कई साइड इफेक्ट्स (Side Effects of Chemotherapy) होते हैं।
Side Effects of Chemotherapy
बाल झड़ना – इलाज के दौरान सिर के बाल तेजी से झड़ने लगते हैं।
थकान – शरीर में कमजोरी और थकान हमेशा बनी रहती है।
उल्टी और मितली – मरीज को बार-बार उल्टी (vomiting) का मन करता है।
भूख कम लगना – खाने का मन नहीं करता और वजन घटने लगता है।
मुँह के छाले – मुँह के अंदर जलन और दर्द वाले छाले हो जाते हैं।
नाखून काले और कमजोर होना – नाखूनों का रंग बदलने लगता है और वे टूटने लगते हैं।
त्वचा का रंग काला पड़ना – चेहरे और शरीर की त्वचा काली और बेजान हो जाती है।
प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होना – शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है।
हाथ-पैरों में झनझनाहट – नसों पर असर होने के कारण हाथ-पैर सुन्न होने लगते हैं।
मूड में बदलाव और डिप्रेशन – मानसिक तनाव, चिड़चिड़ापन और अवसाद महसूस होता है।
क्या पान मसाला से होता है कैंसर?
आचार्य मनीष जी बताते हैं कि पान मसाला, गुटखा और जर्दा जैसे उत्पाद मुंह के कैंसर, गले के कैंसर, पेट के कैंसर और फेफड़ों के कैंसर का बड़ा कारण हैं। इनमें मौजूद तंबाकू और रासायनिक तत्व कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं और शरीर में Free Radicals बढ़ाते हैं, जिससे कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि होती है।
पान मसाला से होने वाली बीमारियाँ:
मुंह का कैंसर
गले में सूजन और घाव
पाचन तंत्र की खराबी
भूख की कमी और थकावट
मसूड़ों और दांतों की बीमारी
ह्रदय रोग और हाई ब्लड प्रेशर
आचार्य मनीष जी का समाधान:
1.पंचकर्म की पाँच प्रक्रियाएं
वमन (Vamana – चिकित्सीय वमन): यह प्रक्रिया पेट और ऊपरी पाचन तंत्र से विषाक्त तत्वों को बाहर निकालने के लिए की जाती है। इससे कफ दोष का शुद्धिकरण होता है।
विरेचन (Virechana – नियंत्रित विरेचन): इसमें प्राकृतिक जुलाब दिए जाते हैं ताकि आंतों की सफाई हो सके और यकृत (लिवर) की कार्यक्षमता में सुधार हो।
बस्ती (Basti – आयुर्वेदिक एनीमा): यह प्रक्रिया विशेष औषधीय तेल या काढ़े को गुदा मार्ग से देकर की जाती है, जिससे वात दोष संतुलित होता है और colon (बड़ी आंत) स्वस्थ रहता है।
नस्य (Nasya – नासिका शोधन): इसमें औषधीय तेल या रस को नाक के माध्यम से डाला जाता है, जिससे सिर, मस्तिष्क और साइनस में जमा विषैले तत्व बाहर निकलते हैं।
रक्तमोक्षण (Raktamokshana – रक्त शोधन): यह प्रक्रिया रक्त से विषाक्त तत्वों को निकालने के लिए की जाती है, जिससे त्वचा रोग और अन्य रक्त से संबंधित विकारों में लाभ मिलता है।
2. DIP Diet
सुबह (7:00 – 9:00 AM)
प्लेट 1: 3–5 मौसमी फल (वजन × 10 ग्राम)
प्लेट 2: उपमा, दलिया, पोहा (मिलेट आधारित)
दोपहर (1:00 – 2:00 PM)
प्लेट 1: मौसमी सब्ज़ियों का सलाद (वजन × 5 ग्राम)
प्लेट 2: खिचड़ी, रोटी या दलिया (मिलेट आधारित)
रात (सूर्यास्त से पहले)
प्लेट 1: फल + सब्ज़ी सलाद (वजन × 10 ग्राम)
प्लेट 2: अगर पकाया खाना हो तो सूप + सलाद (वजन × 5 ग्राम)
नोट:
प्लेट 1 और 2 बराबर मात्रा में लें
सूर्यास्त के बाद भोजन न करें
DIP Diet = प्राकृतिक, संतुलित और रोगमुक्त जीवनशैली
3. Zero Volt Therapy
Zero Volt Therapy, जिसे आचार्य मनीष जी "Electricity as Medicine" के नाम से भी पहचानते हैं, एक प्राकृतिक और सरल चिकित्सा पद्धति है जिसमें व्यक्ति को ज़मीन से जोड़कर शरीर में जमी हुई अतिरिक्त इलेक्ट्रिक ऊर्जा को संतुलित किया जाता है।
निष्कर्ष
Chemotherapy कैंसर के इलाज में एक आम विधि है, लेकिन इसके साथ आने वाले side effects of chemotherapy शरीर को काफी नुकसान पहुँचा सकते हैं जैसे बाल झड़ना, उल्टी, कमजोरी, और त्वचा का काला पड़ना। ऐसे में यह सवाल उठता है: Can Ayurveda reduce chemo side effects? Acharya Manish Ji के अनुसार, आयुर्वेदिक इलाज जैसे पंचकर्म, हर्बल काढ़ा, DIP Diet और प्राकृतिक जीवनशैली के common side effects को काफी हद तक कम किया जा सकता है। आयुर्वेद न सिर्फ शरीर को डिटॉक्स करता है, बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। इसलिए यदि आप कीमोथेरेपी के प्रभाव से परेशान हैं, तो आयुर्वेद अपनाएं और शरीर को प्राकृतिक रूप से उपचारित करें।
FAQ
प्रश्न 1. कीमोथेरेपी के सामान्य साइड इफेक्ट्स क्या हैं?
उत्तर: बाल झड़ना, थकान, उल्टी, त्वचा और नाखून का काला पड़ना सामान्य साइड इफेक्ट्स हैं।
प्रश्न 2. क्या आयुर्वेद कीमो के साइड इफेक्ट्स को कम कर सकता है?
उत्तर: आचार्य मनीष जी के अनुसार आयुर्वेदिक उपाय साइड इफेक्ट्स को प्राकृतिक रूप से कम कर सकते हैं।
प्रश्न 3. कीमो के दौरान कौन-से आयुर्वेदिक उपचार सहायक हैं?
उत्तर: पंचकर्म, हर्बल काढ़ा, DIP डाइट और ध्यान-प्राणायाम अत्यंत लाभकारी हैं।
प्रश्न 4. क्या आयुर्वेद कीमोथेरेपी का विकल्प हो सकता है?
उत्तर: कुछ मामलों में हां, लेकिन डॉक्टर और विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।
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