यूरिन में प्रोटीन आने के पीछे का कारण – आचार्य मनीष जी की राय
आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी और असंतुलित खान-पान के चलते किडनी से जुड़ी बीमारियाँ बहुत आम होती जा रही हैं। इन्हीं में से एक गंभीर लेकिन अक्सर नजरअंदाज़ की जाने वाली समस्या है यूरिन में प्रोटीन आना, जिसे चिकित्सा भाषा में प्रोटीन्यूरिया (Proteinuria) कहा जाता है। इस समस्या को अगर समय रहते इलाज न किया जाए, तो यह धीरे-धीरे किडनी को पूरी तरह से नुकसान पहुँचा सकती है।
आचार्य मनीष जी, जो भारत के अग्रणी आयुर्वेद विशेषज्ञों में से एक हैं, मानते हैं कि “बीमारी का इलाज शरीर को भीतर से संतुलित करने में है, ना कि केवल लक्षणों को दबाने में।” वे Urinary health in Ayurveda, Ayurveda for kidney health, और Ayurvedic herbs for kidney जैसे प्राकृतिक तरीकों से इस रोग को जड़ से ठीक करने की सलाह देते हैं।
इस ब्लॉग में हम समझेंगे कि आचार्य मनीष जी की राय में यूरिन में प्रोटीन आने के पीछे के मुख्य कारण क्या हैं और इसका समाधान कैसे proteinuria treatment in Ayurveda के माध्यम से संभव है।
यूरिन में प्रोटीन क्यों आता है?
किडनी का मुख्य कार्य होता है खून को छानना और विषैले पदार्थों को मूत्र (यूरिन) के माध्यम से शरीर से बाहर निकालना। लेकिन जब किडनी की फिल्ट्रेशन सिस्टम (glomeruli) में सूजन, कमजोरी या अन्य कोई खराबी आ जाती है, तो प्रोटीन जैसे जरूरी तत्व भी यूरिन के साथ बाहर निकलने लगते हैं। यह स्थिति ही प्रोटीन्यूरिया कहलाती है।
आचार्य मनीष जी के अनुसार यूरिन में प्रोटीन आने के प्रमुख कारण:
किडनी की कार्यक्षमता में गिरावट – लंबे समय से अनहेल्दी लाइफस्टाइल और टॉक्सिन के कारण किडनी के नेफ्रॉन डैमेज हो जाते हैं।
डायबिटीज – uncontrolled blood sugar लेवल किडनी को डैमेज करता है जिससे प्रोटीन का रिसाव शुरू हो जाता है।
हाई ब्लड प्रेशर – रक्त का दबाव किडनी की रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुँचा सकता है।
अत्यधिक दवाइयों का सेवन – विशेष रूप से painkillers और steroids का लम्बे समय तक उपयोग किडनी को कमजोर करता है।
यूरिन इंफेक्शन – संक्रमण से किडनी की लाइनिंग को नुकसान पहुँचता है, जिससे प्रोटीन लीक हो सकता है।
गर्भावस्था के दौरान प्रीक्लेम्पसिया – यह एक मेडिकल कंडीशन है जिसमें प्रोटीन्यूरिया देखने को मिलती है।
आचार्य मनीष जी का आयुर्वेदिक दृष्टिकोण:
आचार्य मनीष जी का मानना है कि Ayurveda for kidney health ना केवल लक्षणों को कम करता है, बल्कि यह शरीर की मूल संरचना को संतुलित करके किडनी को फिर से मजबूत करता है। उनकी राय में, proteinuria treatment in Ayurveda का उद्देश्य किडनी को पुनर्जीवित करना, टॉक्सिन को बाहर निकालना और आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के ज़रिए प्राकृतिक हीलिंग को बढ़ावा देना होता है।
आयुर्वेदिक इलाज कैसे करता है काम?
किडनी की सफाई (Renal Detoxification): आयुर्वेद में पंचकर्म विधियों जैसे विरेचन, बस्ती, वमन, रक्तमोक्षण और नस्य के माध्यम से किडनी को गहराई से डिटॉक्स किया जाता है।
जड़ी-बूटियों द्वारा उपचार (Ayurvedic herbs for kidney):
जैसे:
गोक्षुर (Gokshura) – किडनी टॉनिक, सूजन और संक्रमण को कम करता है।
पुनर्नवा (Punarnava) – मूत्र संबंधी कार्यों को सुधारता है और पानी के जमाव को कम करता है।
गिलोय (Giloy) – इम्यून सिस्टम को बूस्ट करता है, सूजन घटाता है।
वरुण (Varun) – मूत्र की रुकावट को दूर करता है और किडनी को शुद्ध करता है।
जीवनशैली में परिवर्तन: आचार्य मनीष जी की सलाह अनुसार सूर्य चिकित्सा, DIP डाइट, जीरो वोल्ट थैरेपी, और समय-नियत भोजन से किडनी के स्वास्थ्य में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है।
सही भोजन: क्या खाएं, क्या न खाएं
क्या खाएं:
नारियल पानी
गाजर
ककड़ी और तरबूज
साबुत अनाज
नीम और तुलसी के पत्ते
क्या न खाएं:
अधिक नमक और मसाले
कैफीनयुक्त पेय
रेड मीट
प्रोसेस्ड फूड्स
अधिक डेयरी
घरेलू उपाय (Home Remedies for Proteinuria)
गिलोय का काढ़ा रोज सुबह खाली पेट
पुनर्नवा रस दिन में दो बार भोजन के बाद
नीम की पत्तियों का रस सप्ताह में दो बार
तुलसी और शहद के साथ सेवन
निष्कर्ष
आचार्य मनीष जी के अनुसार, यदि समय रहते प्रोटीन्यूरिया को समझ लिया जाए और प्राकृतिक तरीके अपनाए जाएं, तो यह रोग जड़ से ठीक हो सकता है। Urinary health in Ayurveda का मूल सिद्धांत है शरीर को भीतर से संतुलित करना और प्रकृति से जुड़कर जीवनशैली को सुधारना।
यदि आप या आपका कोई परिजन इस रोग से पीड़ित हैं, तो Ayurveda for kidney health की ओर बढ़ना एक सुरक्षित, प्रभावशाली और स्थायी समाधान हो सकता है। HIIMS जैसे संस्थान आचार्य मनीष जी के मार्गदर्शन में इस दिशा में उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं।
FAQ
प्रश्न: वमन चिकित्सा किस रोग में लाभदायक है?
उत्तर: वमन चिकित्सा कफ-विकार जैसे दमा, मोटापा और त्वचा रोगों में लाभदायक होती है।
रक्तमोक्षण किस बीमारी के लिए किया जाता है?
उत्तर: रक्तमोक्षण त्वचा रोग, उच्च रक्तचाप और सूजन जैसे रक्तदोष संबंधी विकारों के लिए किया जाता है।
क्या वमन और रक्तमोक्षण सुरक्षित हैं?
उत्तर: यह प्रक्रिया प्रशिक्षित वैद्य की देखरेख में की जाए तो पूर्णतः सुरक्षित होती है।
इन प्रक्रियाओं के बाद क्या विशेष आहार लेना होता है?
उत्तर: शोधन के बाद विशेष परहेज़ और आहार योजना का पालन करना आवश्यक होता है।
क्या ये उपचार सभी उम्र के लोगों के लिए उपयुक्त हैं?
उत्तर: अत्यधिक दुर्बल, गर्भवती या वृद्धजनों में इनका उपयोग सावधानी से किया जाना चाहिए।
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