मोबाइल का अधिक इस्तेमाल: आचार्य मनीष जी से जानिए इसके स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव
आयुर्वेद के अनुसार, Epilepsy को अपस्मार कहा जाता है, जो मानसिक और शारीरिक असंतुलन के कारण होता है। यह विशेष रूप से वात दोष के असंतुलन और मन की शुद्धि में बाधा के कारण होता है।Acharya Manish Ji मानते हैं कि Mobile Addiction Side Effects जैसे नींद की कमी और मानसिक अशांति मिर्गी के दौरों को बढ़ा सकते हैं। Epilepsy Treatment in Ayurveda में केवल दवाएं ही नहीं, बल्कि पूरी जीवनशैली को ठीक करना ज़रूरी होता है। इसके लिए आयुर्वेद में पंचकर्म थेरेपी जैसे शिरोधारा, नस्य और बस्ती, साथ ही ब्राह्मी, शंखपुष्पी और अश्वगंधा जैसी औषधियों का उपयोग किया जाता है। साथ ही संतुलित आहार भी बहुत फायदेमंद माना गया है।
मोबाइल की लत और मिर्गी की स्थिति: आयुर्वेद में समाधान
Acharya Manish ji बताते हैं कि Mobile Addiction Side Effects से मस्तिष्क में विद्युत सिग्नल गड़बड़ा जाते हैं। मोबाइल की रेडिएशन और स्क्रीन टाइम से बच्चों का ब्रेन असंतुलित हो सकता है, जिससे नींद की कमी, चिड़चिड़ापन, और दौरे जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
Epilepsy Treatment in Ayurveda केवल जड़ी-बूटियों पर आधारित नहीं होता, बल्कि इसमें जीवनशैली में बदलाव, दिनचर्या का पालन और प्रकृति-आधारित चिकित्सा को विशेष महत्व दिया जाता है। आचार्य मनीष जी के अनुसार, मिर्गी जैसे लक्षणों के उपचार की शुरुआत मोबाइल से दूरी बनाने और संतुलित जीवनशैली अपनाने से होती है।
आचार्य मनीष जी द्वारा सुझाई गई प्रमुख थैरेपी (Therapies)
1. पंचकर्म चिकित्सा:
Epilepsy Treatment in Ayurveda में पंचकर्म एक प्रमुख स्थान रखता है। इसमें शरीर और मस्तिष्क से अवांछित तत्वों को बाहर निकाला जाता है।
नस्य: औषधीय घृत नाक से दिया जाता है जिससे मस्तिष्क तक औषधि पहुँचती है।
शिरोधारा: माथे पर लगातार औषधीय तेल डाला जाता है जो मस्तिष्क को शांत करता है।
बस्ती: विशेष प्रकार के तेलों और काढ़ों का एनिमा दिया जाता है जो मानसिक स्थिति में सुधार करता है।
2. सूर्य स्नान (Sunbath):
रोज सुबह 6 से 7 बजे के बीच 20 मिनट सूर्य की हल्की किरणों में बैठना शरीर को प्राकृतिक ऊर्जा देता है। यह विशेष रूप से Mobile Addiction Side Effects को कम करने में सहायक है।
3. जल चिकित्सा:
बताया गया है कि रात को सोने से पहले अगर दोनों पैर 10-15 मिनट तक गर्म पानी में डालें, तो इससे दिमाग्गी का तापमान कम हो जाता है यह थैरापी मस्तिष्क को सांत्वना और आराम देती है।
4. ब्राह्मी और शंखपुष्पी सेवन:
Natural remedies for epilepsy में ब्राह्मी, शंखपुष्पी और अश्वगंधा जैसी जड़ी-बूटियों का विशेष महत्व है। ये न सिर्फ दिमाग को शांत करती हैं, बल्कि उसे ताकत भी देती हैं। इनका काढ़ा या घृत के रूप में नियमित सेवन करने से मस्तिष्क की नसों को पोषण मिलता है और सोचने-समझने की क्षमता सुधरती है। साथ ही, ये दौरे यानी मिर्गी के लक्षणों को नियंत्रित करने में भी मददगार होती हैं।
5. घृत आधारित नस्य:
Acharya Manish Ji के अनुसार, नस्य थैरेपी में घृतमयी औषधियाँ जैसे शंखपुष्पी घृत और ब्राह्मी घृत नाक के माध्यम से दी जाती हैं जिससे मस्तिष्क तंत्रिका तंत्र पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
6. मिलेट आधारित आहार:
कोदो, सांवा और कुटकी जैसे मिलेट्स हमारे शरीर की गर्मी को संतुलन में रखते हैं और मन को शांत करते हैं। Epilepsy Treatment in Ayurveda में इन्हें बहुत अहम माना गया है, क्योंकि ये अनाज दिमाग को ठंडक पहुंचाते हैं और सोचने-समझने की शक्ति को स्थिर बनाए रखते हैं। अगर इन्हें रोज़ के खाने में शामिल किया जाए, तो मिर्गी से जुड़े झटकों में राहत मिल सकती है और मानसिक शांति बनी रहती है।
मोबाइल के कारण दौरे: सच्ची घटनाएं जो आंखें खोल देती है
1.15 साल की बच्ची को मिला राहत का रास्ता – आयुर्वेद ने दिखाया असर
15 साल की एक बच्ची को दिनभर मोबाइल देखने की आदत लग गई थी, जिससे उसे अचानक झटके और तेज़ दौरे आने लगे। कई बड़े अस्पतालों में इलाज के बावजूद उसकी हालत नहीं सुधरी और 16 लाख रुपये खर्च हो गए। फिर उसे आचार्य मनीष जी के पास लाया गया, जहां उन्होंने इसे Mobile Addiction Side Effects और मिर्गी के शुरुआती लक्षणों से जोड़ा। Epilepsy Treatment in Ayurveda के तहत इलाज शुरू किया गया। सिर्फ 10 दिनों में बच्ची को एक भी दौरा नहीं पड़ा। यह आयुर्वेदिक दिनचर्या, खानपान और मानसिक संतुलन का प्रभाव था।
2. प्रेरणादायक कहानी – कनाडा से पहुंचे मरीज का अनुभव:
एक और केस में, कनाडा से आए एक सिंगर को 5 बार स्ट्रोक आ चुके थे। उन्हें बेहोशी और दौरे लगातार हो रहे थे। आचार्य जी से मिलने के बाद उन्होंने अपने खान-पान और जीवनशैली में बदलाव किया। केवल अंडा, दूध, पनीर और रात्रि भोजन बंद करने से उनकी स्थिति स्थिर हो गई। उन्होंने कहा कि अब वो घास पर नंगे पाँव चल सकते हैं – जो पहले असंभव था।
3. आईटी इंजीनियर, मोबाइल लत और आयुर्वेद:
एक युवक जो लगातार लैपटॉप और मोबाइल पर 14-16 घंटे काम करता था, अचानक थरथराहट, बेचैनी और नींद न आने की शिकायत करने लगा। Acharya Manish Ji ने कहा कि यह अत्यधिक मोबाइल उपयोग का प्रभाव है और इसका समाधान आयुर्वेदिक ढंग से किया जा सकता है। उन्होंने उसे स्क्रीन से दूर रखा और विशेष थैरेपी दी, जिससे कुछ ही हफ्तों में फर्क महसूस हुआ।
आचार्य मनीष जी के खास सुझाव:
सोने से एक घंटा पहले मोबाइल पूरी तरह बंद करें।
बच्चों को दिन में एक घंटे से ज्यादा स्क्रीन न दें।
अनुलोम-विलोम और भ्रामरी प्राणायाम को दिनचर्या में शामिल करें।
खाने में ताजा, हल्का और रसायन मुक्त भोजन लें।
समय पर सोएं और सुबह जल्दी उठें।
निष्कर्ष – मोबाइल से दूरी, जीवन में शांति
यदि आप या आपके परिवार में कोई व्यक्ति Mobile Addiction Side Effects से प्रभावित है, या फिर Epilepsy Treatment in Ayurveda की खोज में है, तो आचार्य मनीष जी के बताए गए Natural remedies for epilepsy एक प्रभावी समाधान हो सकते हैं। आयुर्वेद में मिर्गी का इलाज एक समग्र दृष्टिकोण है, जिसमें प्राकृतिक उपचार, आयुर्वेदिक औषधियाँ, संतुलित आहार और योग का संयोजन शामिल होता है। इन उपायों का सही समय पर पालन करने से मानसिक और शारीरिक संतुलन स्थापित किया जा सकता है, जिससे मिर्गी के दौरे और मानसिक समस्याओं में सुधार हो सकता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया संपर्क करें : 8270482704
Acharya Manish invites you to join him on this journey towards holistic wellness. Embrace the ancient wisdom of Ayurveda and Naturopathy, and be a part of a global community committed to natural health and well-being.
Join the Movement
1.5k+ Already Subscribed