8 Benefits of Walking on Grass Barefoot by Acharya Manish Ji
भारत के जाने माने आयुर्वेद गुरु आचार्य मनीष जी को कौन नहीं जानता। जितना ज्ञान उन्हें आयुर्वेद और नेचुरोपैथी का है उतना ही उनका रुझान आध्यात्मिकता की ओर है. धरती माँ से उनका लगाव उनके प्रचार में साफ़ दिखाई पड़ता है। हाल ही में मैंने उनकी एक वीडियो देखी जिसमें उन्होंने धरती माँ से जुड़े रहने और Ghas Pe Chalne Ke Fayde बताये। इस वीडियो में आचार्य जी ने एक ख़ास थेरेपी के बारे में बताया जिससे नंगे पैर घांस पर चलने से हमारे शरीर की ऑटोमैटिक हीलिंग होती है और हम सकारात्मक ऊर्जा से भर जाते हैं. मुझे ये वीडियो इतनी पसंद आई कि मैंने खुद ये थेरेपी ट्राई की और यकीन मानिये , आचार्य जी के एक एक शब्द 100 % सही थे.
Benefits Of Walking On Grass
आइये , Benefits Of Walking On Grass के बारे में विस्तार से जाने:
इस थेरेपी को ZERO VOLT थेरेपी के नाम से जाना जाता है जिसमे घांस पर 40 से 60 मिनट तक नंगे पैर सैर करनी होती है। हमारी बॉडी में जो थोड़ी बहोत वोल्टेज होती है वो धरती के संपर्क में आते ही zero हो जाती है यानि बॉडी रीस्टार्ट हो जाती है। हमारे शरीर को रीस्टार्ट होने के लिए जो ऊर्जा चाहिए होती है वो इसी थेरेपी से मिलती है। जैसे ही हम नंगे पैर घांस या रेत पर चलते हैं ,हमारी बॉडी जीरो वाल्ट पर आ जाती है और धरती से पॉजिटिव electrons हमारे शरीर में ऊर्जा बन कर प्रवेश कर जाते हैं। ये पॉजिटिव electrons हमें सिर्फ धरती माँ से ही मिल सकते हैं जिसे साकारत्मक ऊर्जा भी कहा जाता है जो हमारे शरीर और मन के लिए बहोत लाभदायक है।
ऐसे ही आचार्य जी ने Benefits Of Walking On Grass के बहोत सारे फायदे बताये जिनमें से कुछ ये हैं:
Ayurvedic benefits of barefoot walking on grass
घांस पर नंगे पैर चलने से शरीर पॉजिटिव electrons से चार्ज हो जाता है
पॉजिटिव electrons मिलते ही बॉडी डिटॉक्सीफाई होना शुरू हो जाती है
शरीर में रक्त प्रवाह अच्छा हो जाता है
नेगेटिविटी दूर होती है और Positivity आती है
आँखों की सेहत ठीक होती है जिससे चश्मा भी उतर सकता है
दिमाग तेज़ होता है
पॉजिटिव इलेक्ट्रॉन्स से फ्री रेडिकल्स कम होते हैं
Benefits of Walking on Grass Barefoot के अनेक फायदों में से एक है जेट लैग का ना होना. आचार्य जी बतातें हैं कि जब भी हम किसी दुसरे देश की हवाई यात्रा करते हैं और time zone बदल जाने के कारण जो जेट लैग होता है उससे सभी परेशान हो जाते हैं। 3 -4 दिन तक तो सिर घूमता रहता है और नींद आती रहती है. इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए एयरपोर्ट पर उतरते ही उस देश की धरती पर नंगे पैर घांस पर 50 से 60 मिनट तक चलें , ऐसा करने से उस देश का time zone, environment, और पॉजिटिव electrons आपसे कनेक्ट हो जायेंगे और जेट लैग तुरंत ख़तम हो जायेगा।
Zero Volt थेरेपी पर आचार्य जी की पहल :
Zero Volt थेरेपी के अनगिनत फायदों को मद्देनज़र रखते हुए आचार्य मनीष जी ने HiiMS हॉस्पिटल्स में भी पेशेंट्स के लिए इस थेरेपी की व्यवस्था करवाई हुई है। HiiMS हॉस्पिटल्स में पेशेंट्स को नैचुरली हील करने के लिए Zero Volt थेरेपी चद्दरों पर लेटाया जाता है। इस चद्दर में बारीक कॉपर की तार होती हैं जिसका एक सिरा धरती के अंदर डेढ़ फुट की कॉपर रॉड के साथ गाड़ दिया जाता है। जितनी देर पेशेंट HiiMS हॉस्पिटल में रहते हैं ,वो Zero Volt में रहता हैं। शास्त्र और मेडिकल साइंस भी कहते हैं की Zero Volt में बॉडी की हीलिंग अच्छी होती है और ऐसा करने से पेशेंट्स नेचुरल तरीके से हील होते हैं। उनके अंदर साकारत्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और बॉडी डिटॉक्सीफाई होती है जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ दुरुस्त होता है ।
आचार्य मनीष जी का मानवता को सन्देश:
आचार्य जी का मानना है की इंसान की हीलिंग सबसे पहले स्वयं धरती माँ करती है। धरती से जुड़े रहने वाले लोग हमेशा पॉजिटिव एनर्जी से भरे रहते हैं। उनका शरीर सुचारु रूप से कार्य करता है एवं आत्मा प्रसन्न रहती है। आयुर्वेद के अनुसार हमारे शरीर में स्वयं को ठीक करने की शक्ति होती है बस हमें अपनी जीवन शैली प्रकृति के अनुसार ढालने की जरुरत है। समय से उठना, समय पर सोना, प्राकृतिक भोजन करना, योग करना और आयुर्वेदिक जड़ी -बूटियों का सेवन करने से हम हमेशा स्वस्थ और निरोगी रह सकते हैं। हमें आयुर्वेद को अपना कर स्वयं को हर तरीके से स्वस्थ करना है। आयुर्वेद की शक्ति से हम हर रोग को जड़ से ख़तम कर सकते हैं। आचार्य जी का मिशन है स्वस्थ व्यक्ति के स्वाथ्य की रक्षा करना और रोगी को रोगमुक्त करना। आईये हम हर घर आयुर्वेद को अपनाकर भारत को स्वथ्य बनायें।
Acharya Manish invites you to join him on this journey towards holistic wellness. Embrace the ancient wisdom of Ayurveda and Naturopathy, and be a part of a global community committed to natural health and well-being.
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