आचार्य मनीष जी के अनुसार अस्थमा का प्राकृतिक और आयुर्वेदिक उपचार
अस्थमा - जिसे है वही जानता है की इस बीमारी में क्या होता है। जब किसी को अस्थमा की समस्या होती है तो सांस लेने में कठिनाई होती है इसके पीछे वजह होती है सांस लेने की नली में सूजन और संकुचन। किसी के लिए अस्थमा की समस्या एक छोटी समस्या हो सकती और किसी किसी के लिए बहुत ही बड़ी। बहुत मुश्किल होती है जब अस्थमा की वजह से सांस नहीं लिया जाता और फिर पंप का सहारा लेना पड़ता है।
आपने बहुत बार लोगों को देखा होगा की वो मुंह में पंप जैसा लगाते हैं और फिर सांस लेते हैं। यही अस्थमा का पंप होता है। यह रोग विशेष रूप से तब बढ़ जाता है जब श्वसन नलिकाएँ संकरी हो जाती हैं और उनमें बलगम जमा हो जाता है। आयुर्वेद में अस्थमा को 'तमक श्वास' के नाम से जाना जाता है और इसका उपचार प्राकृतिक तरीकों से संभव है।
आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से जानेंगे की आयुर्वेद की मदद से कैसे अस्थमा की समस्या को रिवर्स Asthma Treatment in Ayurveda किया जा सकता है और आचार्य मनीष जी के अनुसार अस्थमा का प्राकृतिक और आयुर्वेदिक उपचार क्या है।
अस्थमा के कारण
अस्थमा से बचना है तो अस्थमा की बीमारी को समझने के साथ साथ उसके कारणों को समझना बहुत जरुरी है। अगर कारणों को अच्छे तरीके से समझ लिया जाये तो फिर इस बीमारी से खुद को बचाया जा सकता है। आचार्य मनीष जी भी यही कहते हैं की बीमारी के कारण को समझ जाओ, बीमारी को समझ जाओगे और बीमारी से बच भी जाओगे।
आयुर्वेद के अनुसार, अस्थमा वात और कफ दोष के असंतुलन के कारण होता है। इसके कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हैं:
ठंडे, तले हुए और भारी भोजन का अधिक सेवन
धूल-मिट्टी, धुआं, परागकण और एलर्जी उत्पन्न करने वाले तत्व
कमजोर पाचन तंत्र जिससे शरीर में विषाक्त पदार्थ (आम) बनते हैं
अधिक तनाव और चिंता
वंशानुगत (अनुवांशिक) कारण
आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ (Ayurvedic herbs for asthma)
आयुर्वेद में ऐसी कई जड़ी बूटियां हैं जिनकी मदद से अस्थमा की बीमारी को रिवर्स किया जा सकता है। इसके साथ साथ कई ऐसी थेरेपी भी हैं जो अस्थमा के पेशेंट्स के लिए लाभदायक हैं। आइये जानते हैं आयुर्वेद में अस्थमा को नियंत्रित करने के लिए कौन सी जड़ी-बूटियाँ Ayurvedic herbs for asthma बताई गई हैं:
मुलेठी: यह सूजन को कम करता है और श्वसन मार्ग को साफ करता है।
हल्दी: इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो फेफड़ों की सूजन को कम करने में मदद करते हैं।
तुलसी: यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती है और फेफड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाती है।
वासा: यह बलगम को पतला करके श्वसन मार्ग को साफ करता है।
गिलोय: यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और श्वसन तंत्र को मजबूत करता है।
अस्थमा के आयुर्वेदिक इलाज Asthma Treatment in Ayurveda में यह जड़ी बूटियां बहुत अच्छा कार्य करती हैं।
पंचकर्म थेरेपी (Panchakarma therapy for asthma treatment)
आयुर्वेदिक पंचकर्म थेरेपी शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालकर अस्थमा के लक्षणों को कम करने में सहायक होती है। आयुर्वेद के पंचकर्म में कई ऐसी थेरेपी हैं जो अस्थमा Panchakarma therapy for asthma treatment से परेशान लोगों के लिए बहुत फायदेमंद हैं।
वमन (Vomiting Therapy) – इससे अतिरिक्त कफ को शरीर से बाहर निकाला जाता है।
विरेचन (Purgation Therapy) – यह पाचन तंत्र को साफ करता है और शरीर से विषाक्त पदार्थों को हटाता है।
नस्य (Nasal Therapy) – नाक के माध्यम से औषधीय तेलों का प्रयोग करके श्वसन मार्ग को साफ किया जाता है।
बस्ती (Medicated Enema) – यह वात और कफ दोष को संतुलित करने में मदद करता है।
स्वेदन (Steam Therapy) – यह शरीर में जमे हुए बलगम को बाहर निकालने में सहायक होता है।
अस्थमा के आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic cure for asthma) में पंचकर्म एक अहम रोल निभाता है। जड़ी बूटियों के साथ साथ अगर पंचकर्म Panchakarma therapy for asthma treatment को अपनाया जाए तो आसानी से अस्थमा की बीमारी को रिवर्स किया जा सकता है।
आहार और जीवनशैली में परिवर्तन (Ayurvedic cure for asthma)
आयुर्वेद कहता है की अस्थमा के इलाज (Ayurvedic cure for asthma) के लिए नेचुरल जड़ी बूटियां, पंचकर्म के साथ साथ सही आहार और जीवनशैली अपनाना बहुत आवश्यक है। अगर ये तीनो चीज़े आप अपना ले तो फिर अस्थमा को रिवर्स करना आसान हो जाता है।
अस्थमा की समस्या में क्या खाना चाहिए - हल्का खाना खाएं, गर्म पानी या हर्बल टी का सेवन करें, शहद, अदरक और हल्दी का उपयोग करें, ताजे फल और हरी सब्जियों को आहार में शामिल करें।
क्या न खाएं: ठंडे और डेयरी उत्पाद (दूध, दही, पनीर) से बचें, तला-भुना और मसालेदार भोजन न खाएं, जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड से परहेज करें।
अस्थमा के इलाज (Ayurvedic cure for asthma) के लिए योग और प्राणायाम
योग और प्राणायाम से अस्थमा को प्राकृतिक रूप से रिवर्स किया जा सकता है।
अनुलोम-विलोम प्राणायाम: यह श्वसन मार्ग को साफ करता है और ऑक्सीजन की आपूर्ति करता है।
भस्त्रिका प्राणायाम:यह फेफड़ों को मजबूत करता है और सांस की तकलीफ को कम करता है।
कपालभाति: यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है और फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाता है।
मैडिटेशन: यह तनाव और चिंता को कम करता है जिससे अस्थमा के लक्षणों में सुधार होता है।
आचार्य मनीष जी के अनुसार अस्थमा के लिए विशेष सुझाव
आचार्य मनीष जी कहते हैं की प्राकृतिक और आयुर्वेदिक उपचार से अस्थमा (Asthma Treatment in Ayurveda) को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। इसके साथ साथ पंचकर्म थेरेपी शरीर की आंतरिक सफाई में सहायक होती है, जिससे श्वसन तंत्र मजबूत होता है। अगर श्वसन तंत्र (Respiratory सिस्टम) सही से काम करे तो अस्थमा की बीमारी से बचा जा सकता है। नियमित रूप से योग और प्राणायाम करने से फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है और ऑक्सीजन का प्रवाह बेहतर होता है। इसलिए हर दिन सुबह योग और प्राणायाम जरूर करें। और अंत में तनाव से बचें और सकारात्मक जीवनशैली अपनाएं। तनाव लेना भी कई बिमारियों की वजह बनता है।
आयुर्वेदिक उपचार, पंचकर्म थेरेपी (Panchakarma therapy for asthma treatment) और सही आहार के माध्यम से अस्थमा को प्राकृतिक रूप से ठीक किया जा सकता है। आचार्य मनीष जी के अनुसार, अस्थमा का इलाज (Ayurvedic cure for asthma) केवल दवाइयों से नहीं, बल्कि सही जीवनशैली और प्राकृतिक तरीकों से संभव है। यदि आप अस्थमा से परेशान हैं, तो आयुर्वेद अपनाएं और एक स्वस्थ जीवन जिएं।
Acharya Manish invites you to join him on this journey towards holistic wellness. Embrace the ancient wisdom of Ayurveda and Naturopathy, and be a part of a global community committed to natural health and well-being.
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