मैमोग्राफी टेस्ट के नुकसान क्या हैं? जानें आचार्य मनीष जी से
स्तन कैंसर एक गंभीर बीमारी है, और इसके शुरुआती निदान के लिए मैमोग्राफी टेस्ट को एक आम जांच विधि माना जाता है। यह टेस्ट महिलाओं के स्तनों में गांठ या असामान्यताओं का पता लगाने में मदद करता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस टेस्ट के कुछ नुकसान भी हो सकते हैं? आचार्य मनीष जी ने अपने एक वीडियो में मैमोग्राफी के संभावित जोखिमों के बारे में बताया है। इस ब्लॉग में, हम उनके विचारों के आधार पर इस टेस्ट के नुकसानों को आसान और मानवीय भाषा में समझेंगे, ताकि आप अपने स्वास्थ्य के लिए सही निर्णय ले सकें।
मैमोग्राफी टेस्ट कैसे होता है?
मैमोग्राफी में आपके स्तन को दो धातु की प्लेटों के बीच रखा जाता है और उसे दबाया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि स्तन के ऊतकों को समतल करके उनकी साफ-साफ एक्स-रे तस्वीर ली जा सके। इस दौरान आपके स्तन को उसके सामान्य आकार के लगभग आधे हिस्से तक दबाया जाता है। यह प्रक्रिया कैंसर या गांठ जैसी असामान्यताओं की जांच के लिए जरूरी मानी जाती है। लेकिन आचार्य मनीष जी का कहना है कि यही दबाव कई बार नुकसान पहुंचा सकता है।
मैमोग्राफी के संभावित नुकसान
आचार्य मनीष जी ने अपने वीडियो में मैमोग्राफी के कुछ ऐसे जोखिम बताए हैं, जिनके बारे में शायद आपने पहले नहीं सोचा होगा। आइए, इन नुकसानों को आसान भाषा में समझते हैं:
1. ऊतकों को नुकसान (टिश्यू रप्चर)
जब मैमोग्राफी में स्तन को दबाया जाता है, तो इससे स्तन के नाजुक ऊतक, दूध की ग्रंथियां, या अन्य हिस्से टूट सकते हैं। अगर आपके स्तन में पहले से कोई साधारण गांठ है, जो कैंसर नहीं है, तो यह दबाव उस गांठ को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे गांठ फट सकती है, जिसके कारण दर्द, सूजन, रक्तस्राव, या पस बनने जैसी समस्याएं शुरू हो सकती हैं।
2. कैंसर का खतरा बढ़ सकता है
आचार्य मनीष जी का मानना है कि मैमोग्राफी के दौरान दबाव डालने से साधारण गांठ कैंसर में बदल सकती है। उनके अनुसार, जब ऊतक टूटते हैं, तो वे खराब होने लगते हैं, जिससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का जोखिम बढ़ सकता है। यह विचार भले ही विवादास्पद हो, लेकिन इसे समझना और इस पर विचार करना जरूरी है।
3. दर्द और तकलीफ
मैमोग्राफी टेस्ट के दौरान स्तन को दबाने से काफी दर्द हो सकता है। कई महिलाओं को यह प्रक्रिया बहुत असहज और दर्दनाक लगती है। यह दर्द टेस्ट के बाद भी कुछ समय तक रह सकता है, खासकर अगर ऊतकों को कोई नुकसान हुआ हो।
4. गलत परिणामों की संभावना
मैमोग्राफी हमेशा सही परिणाम नहीं देता। कभी-कभी यह गलत सकारात्मक परिणाम (फॉल्स पॉजिटिव) दिखा सकता है, यानी टेस्ट में कैंसर दिखे, लेकिन असल में कैंसर न हो। इसके विपरीत, गलत नकारात्मक परिणाम (फॉल्स नेगेटिव) भी हो सकता है, जहां कैंसर होने के बावजूद टेस्ट में वह न दिखे। इससे अनावश्यक तनाव या गलत इलाज की स्थिति बन सकती है।
वैकल्पिक उपाय क्या हैं?
आचार्य मनीष जी आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा के बड़े समर्थक हैं। उनके अनुसार, कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों का इलाज प्राकृतिक तरीकों से भी किया जा सकता है। उनके संगठन के पास भारत भर में 58 से ज्यादा अस्पताल, 60 से अधिक क्लीनिक, और डे-केयर सेंटर हैं, जो मेरठ, दिल्ली, एनसीआर, मुंबई, लखनऊ, डेराबसी, पंचकूला, और कुरुक्षेत्र जैसे शहरों में मौजूद हैं। इन केंद्रों में आयुर्वेद, होम्योपैथी, और नेचुरोपैथी के जरिए कैंसर, किडनी फेल, लिवर फेल, हार्ट प्रॉब्लम, डायबिटीज, और अन्य बीमारियों का इलाज किया जाता है।
वह सलाह देते हैं कि मैमोग्राफी कराने से पहले इसके जोखिमों को अच्छे से समझ लें। अगर आपको अपने स्तन में कोई गांठ या असामान्यता महसूस हो, तो पहले किसी अनुभवी डॉक्टर से सलाह लें। इसके अलावा, अल्ट्रासाउंड या थर्मोग्राफी जैसे वैकल्पिक टेस्ट पर भी विचार किया जा सकता है, जो कम दर्दनाक और कम जोखिम वाले हो सकते हैं।
निष्कर्ष
मैमोग्राफी टेस्ट स्तन कैंसर की जांच के लिए एक महत्वपूर्ण तरीका हो सकता है, लेकिन इसके संभावित नुकसानों को भी समझना जरूरी है। आचार्य मनीष जी के विचारों के आधार पर, इस टेस्ट के दौरान होने वाला दबाव और ऊतकों को नुकसान आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए, मैमोग्राफी कराने से पहले इसके फायदे और नुकसान दोनों पर विचार करें। साथ ही, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा जैसे विकल्पों पर भी गौर करें, जो आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।
अगर आप आचार्य मनीष जी के विचारों से सहमत हैं या उनके प्राकृतिक उपचारों के बारे में और जानना चाहते हैं, तो उनके अस्पतालों या क्लीनिक से संपर्क करें। अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें और हमेशा सोच-समझकर निर्णय लें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1. क्या मैमोग्राफी टेस्ट दर्दनाक है?
हां, कई महिलाओं को मैमोग्राफी के दौरान दर्द और असुविधा महसूस होती है, क्योंकि इस प्रक्रिया में स्तन को काफी दबाया जाता है।
2. क्या मैमोग्राफी से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है?
आचार्य मनीष जी के अनुसार, मैमोग्राफी के दौरान दबाव डालने से ऊतकों को नुकसान हो सकता है, जिससे साधारण गांठ कैंसर में बदल सकती है। हालांकि, इस दावे पर और शोध की जरूरत है।
3. मैमोग्राफी के विकल्प क्या हैं?
स्तन कैंसर की जांच के लिए अल्ट्रासाउंड, थर्मोग्राफी, या एमआरआई जैसे वैकल्पिक टेस्ट उपलब्ध हैं। अपने डॉक्टर से सलाह लेकर सही विकल्प चुनें।
4. आयुर्वेद से स्तन कैंसर का इलाज संभव है?
आचार्य मनीष जी का मानना है कि आयुर्वेद, होम्योपैथी, और नेचुरोपैथी जैसे प्राकृतिक उपचार कैंसर और अन्य बीमारियों के इलाज में मदद कर सकते हैं। हालांकि, किसी भी इलाज को शुरू करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूरी है।
5. मैमोग्राफी कब करानी चाहिए?
आमतौर पर, 40 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को नियमित मैमोग्राफी की सलाह दी जाती है। लेकिन अगर आपको कोई लक्षण (जैसे गांठ या दर्द) दिखाई दे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
7. क्या मैमोग्राफी में रेडिएशन का खतरा होता है?
मैमोग्राफी में कम मात्रा में रेडिएशन का उपयोग होता है, जो आमतौर पर सुरक्षित माना जाता है। लेकिन बार-बार टेस्ट कराने से रेडिएशन के जोखिम पर विचार करना चाहिए।
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