2D से आज़ादी: रोग और दवाइयों से मुक्ति की और आचार्य मनीष जी का अभियान
हमारे शरीर की रचना ईश्वर ने प्रकृति के अनुसार की है, इसलिए जब जब हम प्रकृति के विरुद्ध जाते हैं, हर तरीके से हमारा नुक्सान होता है। आज कल न ही हम प्राकृतिक भोजन करते हैं और न ही प्राकृतिक वातावरण में रहते हैं। यही कारण है की बीमारियां दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इससे भी बुरी यह स्थिति है कि लाख दवाइयां खाने के बावजूद बीमारियां ठीक नहीं हो रही, उल्टा साइड इफेक्ट्स से लोग मर रहें हैं।
क्या आप जानते हैं आयुर्वेद में मानव शरीर में होने वाली हर बीमारी का इलाज है वो भी बिना साइड इफेक्ट्स ?
आपने बिलकुल सही पढ़ा, और अगर आपको इसका प्रमाण देखना है तो HIIMS हॉस्पिटल्स के उन हज़ारों पेशेंट्स के लाइव वीडियो देखें जिन्होंने कैंसर, किडनी फेलियर, लिवर फेलियर जैसी जानलेवा बीमारियों को हरा कर नया जीवन प्राप्त किया है।
भारत में आयुर्वेद को “लाइन ऑफ़ फर्स्ट ट्रीटमेंट” बनाने का संकल्प लिया है हमारे आचार्य मनीष जी ने जो भारत को रोग और दवाइयों से मुक्त कर दे।
नई दिशा की और- आचार्य जी की पहल - जीना सीखो — खुद के डॉक्टर बनो
आचार्य जी का संकल्प है 2D से आज़ादी -
“2D से आज़ादी” का यह अभियान सिर्फ एक स्वास्थ्य मिशन नहीं, बल्कि एक आंदोलन है — एक ऐसा आंदोलन जो हमें अपनी सेहत की ज़िम्मेदारी खुद उठाने की प्रेरणा देता है। जीना सीखो का उद्देश्य है हर व्यक्ति को सशक्त बनाना ताकि वह आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा और संतुलित जीवनशैली के जरिए स्वस्थ, स्वतंत्र और दवा-मुक्त जीवन जी सके।
आचार्य जी कहते हैं की हमारा शरीर बहुत समझदार होता है, उसे स्वयं को ठीक करना आता है, बस हमें सही तरीका आना चाहिए। आयुर्वेद में ऐसे ही सारे तरीके बताये जाते हैं जो हमें रोग मुक्त करने में हमारी सहायता करते हैं। अगर हम सख्ती से आयुर्वेद का पालन करें तो कैंसर और किडनी फेलियर जैसी गंभीर बीमारी को भी हरा सकते हैं।
आचार्य जी का मूलमंत्र है —
"खुद के डॉक्टर बनो।"
आयुर्वेद को फॉलो करके हम स्वयं अपने डॉक्टर बन सकते हैं, हम अपनी बिमारियों का इलाज खुद कर सकते हैं।
संदेश: जीने की कला सीखो
जीना सीखो
खाना सीखो
पीना सीखो
और सही जीवनशैली अपनाना सीखो
स्वास्थ्य की समग्र विधियाँ: शरीर की सर्विस ज़रूरी है
जैसे हम अपने वाहन की नियमित सर्विस करवाते हैं, वैसे ही शरीर को भी हर 6 महीने में शुद्ध करना आवश्यक है। इसके लिए पंचकर्म थेरेपीज़ को अपनाना लाभकारी है:
मुख्य पंचकर्म थेरेपीज़
वमन: शरीर से विषैले तत्वों की निकासी
विरेचन: आंतों की सफाई
बस्ती: औषधीय एनिमा
रक्त मोक्षण: रक्त की शुद्धि
शिरोधारा, शिरो पिचु, शिरो लेपम: मानसिक स्पष्टता और तनाव मुक्ति
जानु बस्ती / जानु लेपम: घुटनों की देखभाल
विशेष थेरेपीज़
हृद बस्ती: दिल की देखभाल
ग्रीवा बस्ती: गर्दन दर्द
कटि बस्ती: पीठ और रीढ़ की समस्या
पृष्ठ बस्ती: चक्र, नर्वस सिस्टम, और अंगों की देखभाल
जीवनशैली में छोटे बदलाव, बड़े परिणाम
यह एक बहुत ही गहरा और असरदार विचार है। इसका सार ये है कि हमें हमेशा बड़े बदलाव करने की ज़रूरत नहीं होती, बल्कि छोटी-छोटी आदतों को सुधारकर भी हम अपने स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता में बड़ा सुधार ला सकते हैं। इन बदलावों को अपनाने के लिए किसी बड़ी व्यवस्था की ज़रूरत नहीं होती, बस थोड़ी सी जागरूकता और संकल्प चाहिए। यही आयुर्वेद और प्राकृतिक जीवनशैली का मूल मंत्र है — प्रकृति के साथ तालमेल बनाकर जीना।
घास पर नंगे पांव चलें: प्रकृति से जुड़ाव बढ़ाएं
नियमित धूप लें: प्राकृतिक विटामिन D
सूर्यास्त के बाद भोजन बंद करें: बेहतर पाचन
सकारात्मक सोच अपनाएं: मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों सुधरते हैं
प्राकृतिक दंत स्वच्छता का संदेश
टूथपेस्ट नहीं, दातुन अपनाएं:
नीम दातुन (मार्च–अक्टूबर)
बबूल दातुन (नवंबर–दिसंबर)
किकर दातुन (जनवरी–फरवरी)
रात को सोने से पहले ज़रूर दांत साफ करें
सिंथेटिक ब्रश की जगह प्राकृतिक विकल्प अपनाएं।
शरीर भी सांस लेता है: एक अद्भुत सत्य
ये सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन आयुर्वेद और प्राकृतिक विज्ञान के दृष्टिकोण से यह बात न केवल सच है, बल्कि बेहद महत्वपूर्ण भी।हम आमतौर पर सोचते हैं कि सांस केवल नाक से ली जाती है, लेकिन वैज्ञानिक रूप से देखा जाए तो हमारी त्वचा भी एक सांस लेने वाला अंग है। यह प्रक्रिया बेहद सूक्ष्म होती है, लेकिन इसका असर हमारे स्वास्थ्य पर गहरा पड़ता है।
आचार्य मनीष जी ने बताया है कि सिर्फ नाक नहीं, हमारी त्वचा भी सांस लेती है। उदाहरण:
सिर पर करेला या नीम लगाएं तो ज़बान पर उसका स्वाद महसूस हो सकता है। जो चीज़ें हम त्वचा पर लगाते हैं, उनका प्रभाव सिर्फ बाहरी नहीं होता। शरीर एक जीवंत, प्रतिक्रियाशील तंत्र है — और उसका हर हिस्सा "सुनता" और "सांस लेता" है।आयुर्वेद हमें यह समझाता है कि अगर हम प्राकृतिक तरीकों से शरीर की देखभाल करें, तो वह अपने आप स्वस्थ रहेगा।
आयोडेक्स लगाकर धूप में बैठने पर हल्का चक्कर आ सकता है — इसका मतलब है कि त्वचा सभी तत्वों को अवशोषित करती है। त्वचा पर जो भी आप लगाते हैं, वो शरीर के अंदर जा सकता है। इसलिए केमिकल युक्त क्रीम या तेल से परहेज करें।
प्राकृतिक उपचार की शक्ति
प्राकृतिक उपचार की शक्ति वास्तव में हमारी परंपरा की एक अनमोल देन है। ये उपाय न केवल असरदार होते हैं, बल्कि शरीर के लिए सौम्य भी होते हैं — बिना किसी साइड इफेक्ट के। जब भी आपको कोई छोटा-मोटा कट, खरोंच या घाव लगे, तो सबसे पहले यही ख्याल आता है — डेटॉल या कोई एंटीसेप्टिक लगाना। लेकिन अगर आप इसे प्राकृतिक तरीके से ठीक करना चाहें, तो यह आयुर्वेदिक उपाय बेहद प्रभावशाली हैं:
घाव पर डेटॉल नहीं, इनका रस लगाएं:
पालक, मेथी, करी पत्ता, धनिया, पुदीना, मूली और गाजर के पत्ते
हल्दी मिलाकर लगाएं – न खुजली होगी, न निशान, और जल्दी घाव भरेगा।
नेत्र और व्यक्तिगत स्वच्छता सुझाव
प्राचीन ग्रंथों और कुछ पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के अनुसार, गौमूत्र में ऐसे तत्व होते हैं जो नेत्रज्योति (आंखों की रोशनी) को सुधारने में मदद कर सकते हैं।
गौमूत्र से नेत्रज्योति सुधर सकती है
त्रिफला या गुलाब जल आंखों में लगाने से दृष्टि में सुधार हो सकता है
बैठकर पेशाब करना – स्वास्थ्य और स्वच्छता दोनों के लिए लाभकारी
बैठकर पेशाब करना केवल पारंपरिक आदत नहीं है, इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं:
मूत्राशय पूरी तरह खाली होता है, जिससे इंफेक्शन का खतरा कम होता है।
प्रोस्टेट और ब्लैडर संबंधी समस्याएं घटती हैं।
गुप्तांग की स्वच्छता बेहतर बनी रहती है, जिससे बैक्टीरिया का खतरा कम होता है।
विशेष रूप से महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए यह आदत उपयोगी है — लेकिन पुरुषों को इसे अपनाने में थोड़ा संकोच होता है, जो दूर किया जाना चाहिए।
आहार शैली में बदलाव
"जैसे खाएं, वैसे ही शरीर बनाएँ"
हम सिर्फ क्या खा रहे हैं, यह मायने नहीं रखता — कैसे खा रहे हैं, ये भी उतना ही ज़रूरी है। आयुर्वेद और योग की दृष्टि से हमारी आहार शैली का पाचन तंत्र, ऊर्जा स्तर और संपूर्ण स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
वज्रासन में बैठकर भोजन करें – पाचन सुधरेगा
पहली थाली: सलाद, दूसरी थाली: मुख्य भोजन
डाइनिंग टेबल नहीं, ज़मीन अपनाएं
मिशन: Freedom from 2D – Disease & Drugs
यह केवल एक सपना नहीं, हमारा संकल्प है:
"भारत को बीमार नहीं होने देना है। भारत को 2D — Disease और Drugs से मुक्त कराना है।"
आयुर्वेद को आज भी लोग आख़िरी विकल्प मानते हैं, जबकि सच यह है कि:
"लोग आयुर्वेद में इलाज के लिए नहीं, उसे टेस्ट करने आते हैं — और फिर भी, आयुर्वेद हर बार सफल होता है।"
नवभारत का निर्माण: भीतर से भी, बाहर से भी
अब वक्त है सोच नहीं, जीवनशैली बदलने का।
हर नागरिक को यह मंत्र अपनाना चाहिए:
"जीना सीखो – प्राकृतिक रूप से, समझदारी से, और सशक्त तरीके से।"
Make this your slogan:
"People don’t come to Ayurveda for healing, they come to test it. Yet Ayurveda succeeds every time."
"लोग आयुर्वेद के पास उपचार के लिए नहीं, उसे परखने के लिए आते हैं।
फिर भी आयुर्वेद हर बार सफल होता है।"
हमारा मिशन है — हर गली, हर गांव तक यह संदेश पहुँचे।
अब भाषण नहीं, व्यवहार में बदलाव लाना है।
"Freedom from 2D – Disease & Drugs"
"भारत को स्वस्थ बनाना है – अंदर से भी, बाहर से भी।"
Acharya Manish invites you to join him on this journey towards holistic wellness. Embrace the ancient wisdom of Ayurveda and Naturopathy, and be a part of a global community committed to natural health and well-being.
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