आयुर्वेदिक रक्तमोक्षण चिकित्सा के 5 बड़े फायदे – आचार्य मनीष जी
रक्तमोक्षण, जिसे आयुर्वेद में लीच थेरेपी भी कहा जाता है, एक प्राचीन और प्रभावी उपचार है। यह शरीर से अशुद्ध रक्त को निकालकर रोगों से बचाने और जीवन शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है। खासकर, त्वचा रोग, जोड़ों के दर्द और रक्त से सम्बंदित विकारों के लिए यह बेहद लाभकारी है। आयुर्वेद में जोंक इलाज (लीच थेरेपी) रक्तमोक्षण का एक लोकप्रिय तरीका है, जो रक्त संचार को बेहतर बनाकर टॉक्सिन्स को शरीर से बाहर निकालने में सहायक होता है।
आइए जानें आचार्य मनीष जी के मार्गदर्शन में आयुर्वेदिक रक्तमोक्षण इलाज के 5 बड़े लाभ:
1. रक्त की अशुद्ध और टॉक्सिक चीज़ो को बाहर निकालना
आयुर्वेद के अनुसार, गलत खान-पान और जीवनशैली के कारण शरीर में टॉक्सिन्स (आम) जमा हो जाते हैं, जिससे त्वचा रोग, एलर्जी और सूजन जैसी समस्याएं होती हैं। अशुद्ध रक्त कई बीमारियों की जड़ होता है। रक्तमोक्षण से शरीर को शुद्ध करें और स्वस्थ रहें!
रक्तमोक्षण से कैसे मदद मिलती है?
रुका हुआ अशुद्ध रक्त बाहर निकलता है
Tissue को अधिक ऑक्सीजन मिलती है
शरीर में टॉक्सिन्स कम होते हैं, जिससे संपूर्ण स्वास्थ्य बेहतर होता है
लीच थेरेपी इसमें अहम भूमिका निभाती है। जोंक अशुद्ध रक्त चूसकर शरीर में प्राकृतिक एंज़ाइम छोड़ती है, जो रक्त संचार को बढ़ाकर किसी भी प्रकार की गाँठ बनने से रोकते हैं।
2. त्वचा रोगों से राहत
एक्जिमा, सोरायसिस, मुंहासे हों भारी, रक्तमोक्षण से पाएं त्वचा प्यारी !
त्वचा हमारे शरीर के अंदरूनी स्वास्थ्य को दर्शाती है। जब रक्त अशुद्ध होता है, तो एक्जिमा , सोरिएसिस और मुहासों जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
एक्जिमा , सोरिएसिस , मुहासे साफ करता है
खुजली, जलन और सूजन कम करता है
त्वचा का रंग, निखार और चमक बढ़ाता है
रक्तमोक्षण आयुर्वेदिक डॉक्टर की देखरेख में करने से त्वचा रोगों से लंबे समय तक राहत मिलती है, बिना किसी केमिकल या स्टेरॉयड के।
3. जोड़ों के दर्द और गठिया में लाभकारी
जोड़ों के दर्द से परेशान हैं तो रक्तमोक्षण अपनाएं, दर्द से राहत पाएं!
गठिया, जोड़ों का दर्द और यूरिक एसिड बढ़ने से जोड़ों में सूजन और जकड़न हो सकती है। यह वात और पित्त दोष के असंतुलन से होता है।
जोड़ों से टॉक्सिन्स निकालता है
सूजन और जकड़न को कम करता है
रक्त संचार बढ़ाकर जोड़ों को चिकना करते है
लीच थेरेपी गठिया के इलाज में खास तौर पर फायदेमंद है। क्योंकि जोंक के प्राकृतिक एंजाइम सूजन और दर्द को कम करने में सहायक होते हैं।
4. रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) बढ़ाए
कमजोर इम्युनिटी से शरीर बार-बार बीमार पड़ता है। रक्त की शुद्धि से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
बैक्टीरिया और वायरस को रक्त से बाहर निकालता है
शरीर की बीमारियां को दूर करता है और हमे सेहत मंद बनता है
बार-बार होने वाले बुखार, त्वचा ख़राब और सूजन होने से रोकता है
नियमित रूप से रक्तमोक्षण कराने से शरीर प्राकृतिक रूप से मजबूत होता है और बीमारियों से बचाव होता है।
5. रक्तचाप नियंत्रित करे और रक्त संचार सुधारे
कभी BP हाई, कभी लो? रक्तमोक्षण से पाँय रक्त संचार में सही फ्लो!
हाई ब्लड प्रेशर और खराब रक्त संचार आज की जीवनशैली की बड़ी समस्याएं हैं। तनाव, गर्मी और टॉक्सिन्स के कारण बनते हैं।
अनावश्यक रक्त निकालकर हृदय का दबाव कम करता है
रक्त के बहाब को बंद होने से बचाता है
मानसिक शांति और तनाव को कम करता है
रक्तमोक्षण से शुद्ध रक्त संचार में सुधार होता है और हृदय रोगों से बचाव होता है।
आयुर्वेदिक रक्तमोक्षण क्यों चुनें?
प्राकृतिक और सुरक्षित – बिना किसी केमिकल के प्राकृतिक और सुरक्षित संपूर्ण स्वास्थ्य लाभ
व्यक्तिगत इलाज – रक्तमोक्षण में जोंक थेरेपी, स्कैल्प प्रिकिंग और वेनिसेक्शन जैसी तत्व का उपयोग किया जाता है, जो व्यक्ति की जरूरत के अनुसार की जाती हैं।
लंबे समय तक फायदा – यह थेरेपी न केवल त्वचा और जोड़ों के स्वास्थ्य में सुधार करती है, बल्कि संपूर्ण शरीर को रोगों से बचाने और स्वस्थ बनाए रखने में मदद करती है।
आचार्य मनीष जी की विशेषज्ञता – यह उपचार आचार्य मनीष जी के पारंपरिक आयुर्वेदिक ज्ञान और अनुभव पर आधारित है, जिससे रोगी को सुरक्षित और प्रभावी उपचार मिलता है।
रक्तमोक्षण सिर्फ एक इलाज नहीं, बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य और संतुलन की ओर एक महत्वपूर्ण यात्रा है!
रक्तमोक्षण थेरेपी से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
प्रश्न. रक्तमोक्षण थेरेपी क्या होती है?
उत्तर: यह आयुर्वेदिक चिकित्सा है जो शरीर से अशुद्ध रक्त निकालकर शुद्धिकरण करती है।
प्रश्न. रक्तमोक्षण किन बीमारियों में लाभदायक है?
उत्तर: यह त्वचा रोग, गठिया, उच्च रक्तचाप, जोड़ों के दर्द और कमजोर इम्यूनिटी में सहायक है।
प्रश्न. क्या रक्तमोक्षण थेरेपी सुरक्षित होती है?
उत्तर: आयुर्वेदिक विशेषज्ञों की देखरेख में यह पूरी तरह प्राकृतिक और सुरक्षित होती है।
प्रश्न. रक्तमोक्षण के बाद कौन-कौन सी सावधानियां रखनी चाहिए?
उत्तर: शरीर को आराम देना, प्रभावित स्थान को स्वच्छ रखना और आयुर्वेदिक आहार का पालन करना चाहिए।
प्रश्न. क्या हर व्यक्ति रक्तमोक्षण करवा सकता है?
उत्तर: अत्यधिक कमजोरी, एनीमिया और गर्भावस्था जैसी स्थितियों में इसे कराने से बचना चाहिए।
Acharya Manish invites you to join him on this journey towards holistic wellness. Embrace the ancient wisdom of Ayurveda and Naturopathy, and be a part of a global community committed to natural health and well-being.
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